मती ना बरजो ए माता मावड़ी,
सन्तों दर्शण जाती,
हरी नाव हिरदे बसे,
मैं हूँ मदड़ा में माती।।
मात केवे ए सुण धीवड़ी,
किसडे गुण भूली,
लोग सोवे हैं सुख री नींद में,
थू कांई रेण जो भूली।।
गेली हैं दुनिया बावरी,
ज्याने राम नहीं भावे,
जिनके तो हिरदे हरी बसे,
ज्याने नींद न आवे।।
चौबारिया री बावड़ी,
ज्यारो नीर न पीजे,
हरी नाडिया इमरत झरे,
ज्यारी आस करीजे।।
रूप सुरंगा राम जी,
जिन देखिया धीजे,
मीरा दासी आपरी,
अपणी कर लीजे।।
मती ना बरजो ए माता मावड़ी,
सन्तों दर्शण जाती,
हरी नाव हिरदे बसे,
मैं हूँ मदड़ा में माती।।
प्रेषक – रामेश्वर लाल पँवार।
आकाशवाणी सिंगर।
9785126052