माया से हेत लगाय के,
मत भूलो नाम हरी का।
दोहा – मन मरी ममता मरी,
मर मर गया रे शरीर,
आसा तृष्णा नही मरी,
कह गए संत कबीर।
माया से हेत लगाय के,
माया से हेत लगाय के,
मत भूलो नाम हरी का,
मत भूलो नाम हरी का ए हा।।
गर्भवास में बहुत दुख पाया,
अरे गर्भवास मे बहुत दुख पाया,
अरे कोल वचन कर बाहर आया,
अरे कोल वचन कर बाहर आया,
इस दुनिया में आय के,
इस दुनिया में आय के,
सुख भोगो सेज फरीका,
सुख भोगो सेज फरीका,
मत भूलो नाम हरी का,
मत भूलो नाम हरी का ए हा।।
गुरु चेला दो सहायक जोड़ी,
अरे गुरु चेला दो सहायक जोडी,
अरे बिछडत देखी उनकी जोडी,
बिछडत देखी उनकी जोडी,
अरे काल पडी गर्दन तोडी,
अरे काल पडी गर्दन तोडी,
अरे इन जिन्दगी में आय के,
अरे इन जिन्दगी में आय के,
बस नही चला मर्दो का,
बस नही चला मर्दों का,
मत भूलो नाम हरी का,
मत भूलो नाम हरी का ए हा।।
जोग जुगत मे करता देख्या,
जोग जुगत मे करता देख्या,
स्वास कुपडी मे धरता देख्या,
स्वास कुपडी मे धरता देख्या,
अरे अंत समय में मरता देख्या,
अंत समय में मरता देख्या,
तजीया प्राण मुखडा फाड के,
तजीया प्राण मुखडा फाड के,
जैसे पडीया स्वान नगर का,
जैसे पडीया स्वान नगर का,
मत भूलो नाम हरी का,
मत भूलो नाम हरी का ए हा।।
सात पोर घर धंधा करले,
अरे सात पोर घर धंधा करले,
एक पोर हरी चित धरले,
एक पोर हरी चित धरले,
इन भवसागर पार उतरले,
इन भवसागर सु पार उतरले,
कहे कबीर गुण गाय के,
कहे कबीर गुण गाय के,
बन जावे मौज फरीका,
बन जावे मौज फरीका,
मत भूलो नाम हरी का,
मत भूलो नाम हरी का ए हा।।
माया से हेत लगाई के,
माया से हेत लगाई के,
मत भूलो नाम हरी का,
मत भूलो नाम हरी का ए हा।।
गायक – शंकर जी टाक & प्रताप खोड़।
प्रेषक – मनीष सीरवी
9640557818