मीरा हो गई रे दीवानी,
घनश्याम की,
लगन लगी हरी नाम की।।
दोहा – लौट के आजा जाने वाले,
रटती हूँ तेरा नाम,
तेरे कारण हो गई मैं तो,
गली गली बदनाम।
पहली लगन लगी मेरे मन में,
दूजे पंत मिले बचपन में,
तीजे श्याम बसे मेरे मन में,
उनको नही है खबरिया,
कुछ काम की,
लगन लगी हरि नाम की,
मीरा हों गई रे दीवानी,
घनश्याम की,
लगन लगी हरी नाम की।।
राणा ने दए विश के प्याला,
मीरा ने उसको पी डाला,
अमृत बन गए बिष के प्याला,
उनको नही है खबरिया,
अपने प्राण की,
लगन लगी हरि नाम की,
मीरा हों गई रे दीवानी,
घनश्याम की,
लगन लगी हरी नाम की।।
मीरा ने गोकुल में जाके,
सावरिया को अपना बनाके,
कर लई नाम जगत में आके,
उनको नहीं है खबरिया,
बदनाम की,
लगन लगी हरि नाम की,
मीरा हों गई रे दीवानी,
घनश्याम की,
लगन लगी हरी नाम की।।
मीरा हो गई रे दीवानी,
घनश्याम की,
लगन लगी हरी नाम की।।
प्रेषक – Deepak ardi
9131010004
Mujhe bhajan sunna bhout psnd h bhajan mere dil ko bhout lubate h is bhajn ne mera dil jeet liya