मेंहदीपुर में चाली जाईए,
बालाजी की अर्जी लाइए,
सच्चे मन तं ध्यान लगाईए,
रोग कटेगा तेरा है।।
हो प्रेतराज दयावान घणे सं,
दया करंगे तेरे प,
आज्या गा हे तरस बाहण यो,
भोले भाले चेहरे प,
हे चरणां के महां शीश झुकाईए,
रो क न दखड़ा सुणाईए,
सच्चे मन तं ध्यान लगाईए,
रोग कटेगा तेरा है।
मेंहदीपुर मे चाली जाईए,
बालाजी की अर्जी लाइए,
सच्चे मन तं ध्यान लगाईए,
रोग कटेगा तेरा है।।
भैरव बाबा मान रखंगे,
सुण लें तेरी पुकार सखी,
पूर्णमासी मेंहदीपुर में,
ऐसा लगे दरबार सखी,
बालाजी संग प्रीत लगाईए,
घंटा और घड़ियाल बजाईए,
सच्चे मन तं ध्यान लगाईए,
रोग कटेगा तेरा है।
मेंहदीपुर में चाली जाईए,
बालाजी की अर्जी लाइए,
सच्चे मन तं ध्यान लगाईए,
रोग कटेगा तेरा है।।
शनिवार और मंगल के दिन,
रोगी की सुणवाई हो,
हाथ जोड़ क संकट नाचे,
घाटे मे रिहाई हो,
छिंटा लागे जा लगवाईए,
जो बुझः वा बात बताईए,
सच्चे मन तं ध्यान लगाईए,
रोग कटेगा तेरा है।
मेंहदीपुर में चाली जाईए,
बालाजी की अर्जी लाइए,
सच्चे मन तं ध्यान लगाईए,
रोग कटेगा तेरा है।।
अशोक भक्त तन्ने,
घाटे मे मिल जया,
और बता के चहाव हे,
कलयुग मे एक वोहे साहरा,
क्यूं ना प्रीत लगाव हे,
शब्द नरैन्द्र के सुण आईए,
तुं भी झुम-झुम क गाईए,
सच्चे मन तं ध्यान लगाईए,
रोग कटेगा तेरा है।
मेंहदीपुर में चाली जाईए,
बालाजी की अर्जी लाइए,
सच्चे मन तं ध्यान लगाईए,
रोग कटेगा तेरा है।।
स्वर – नरेंद्र कौशिक।
भजन प्रेषक,
राकेश कुमार जी,
9992976579