जब जब भक्त पड़े मुश्किल में,
श्याम नहीं है रुकता,
मेरा बाबा दौड़ा आता है,
लीले पे चढ़ आता है,
मेरा बाबा दौंड़ा आता है।।
तर्ज – मिलने की तुम कोशिश।
जब भी नैया इन लहरों में,
डगमग डगमग डोले,
श्याम संभाले इस नैया को,
ना खाए हिचकोले,
चाहे आँधी तूफा आए,
पार नैया वो लगाता,
मेरा बाबा दौंड़ा आता है,
लीले पे चढ़ आता है,
मेरा बाबा दौंड़ा आता है।।
खाली झोली लेकर तेरे,
दर पे जो भी आता,
अपना सेठ है खाटू वाला,
झोलिया सबकी भरता,
चाहे माँगो या ना माँगो,
वो तो समझ ही जाता,
मेरा बाबा दौंड़ा आता है,
लीले पे चढ़ आता है,
मेरा बाबा दौंड़ा आता है।।
हाथ बढ़ाया जिन भक्तों ने,
उसका साथ ना छोड़ा,
संग संग उसके चला ये बाबा,
मुँह कभी ना मोड़ा,
‘अनिल आनंद’ शरण तेरी,
बाबा कृपा बरसाता,
मेरा बाबा दौंड़ा आता है,
लीले पे चढ़ आता है,
मेरा बाबा दौंड़ा आता है।।
जब जब भक्त पड़े मुश्किल में,
श्याम नहीं है रुकता,
मेरा बाबा दौड़ा आता है,
लीले पे चढ़ आता है,
मेरा बाबा दौंड़ा आता है।।
गायक – आनंद शर्मा।