मेरे सर पे रख के हाथ,
मेरा जनम सफल कर दो,
तुम मालिक हो मेरे,
इतना तो करम कर दो।।
तर्ज – होंठों से छू लो।
जग की इस माया में,
मैं उलझ गया ऐसा,
कुछ भी ना नजर आता,
क्या भला है क्या है बुरा,
मेरी नजरों में बस कर,
रहमत की नजर करदो,
तुम मालिक हो मेरे,
इतना तो करम कर दो।bd।
हारे के हो साथी,
हारे को जीताते हो,
जो द्वार तेरे आता,
तुम गले लगाते हो,
मुझे पे भी दया करके,
चरणो में जगह दे दो,
तुम मालिक हो मेरे,
इतना तो करम कर दो।bd।
लाखों की किस्मत तो,
तेरे नाम से चमकी है,
मेरी भी प्रभु तुमसे,
इतनी ही अर्जी है,
तेरे दास ‘अनुज’ पर भी,
किरपा की मेहर करदो,
तुम मालिक हो मेरे,
इतना तो करम कर दो।bd।
मेरे सर पे रख के हाथ,
मेरा जनम सफल कर दो,
तुम मालिक हो मेरे,
इतना तो करम कर दो।।
गायक / लेखक – अनुज बर्वे।
9165246637