मेरा सांवरा प्रेम करता सभी से,
सभी कर्म समझे,
सभी लेख देखें,
वाकिफ सभी से,
मेरा साँवरा प्रेम करता सभी से,
मेरा साँवरा प्रेम करता सभी से।।
जुबाँ से ना बोले,
मगर सबको तोले,
राज किसी का,
किसी पे ना खोले,
जैसा जो करता,
वैसा वो भरता,
सुना है गुणी से,
मेरा साँवरा प्रेम करता सभी से,
मेरा साँवरा प्रेम करता सभी से।।
अहम् ना सुहाए,
भरम ये मिटाए,
भक्तों पे अपनी,
दया बरसाए,
दिलदार ऐसा,
करतार ऐसा,
देखा कहीं पे,
मेरा साँवरा प्रेम करता सभी से,
मेरा साँवरा प्रेम करता सभी से।।
‘नंदू’ समझ ले,
बदी से निकल ले,
प्रेम के पथ पर,
गुजर ले विचर ले,
हर पल रिझाना,
कभी ना भुलाना,
बाबा को दिल से,
मेरा साँवरा प्रेम करता सभी से,
मेरा साँवरा प्रेम करता सभी से।।
मेरा सांवरा प्रेम करता सभी से,
सभी कर्म समझे,
सभी लेख देखें,
वाकिफ सभी से,
मेरा साँवरा प्रेम करता सभी से,
मेरा साँवरा प्रेम करता सभी से।।
स्वर – कन्हैया मित्तल जी।
रचना – नंदू जी शर्मा।