मेरा शिव सन्यासी हो गया,
कावड़ियों के मेले में,
बम बम की धुन में खो गया,
कावड़ियों के रेले में,
सावन की मस्त बहार,
ऐसी ठंडी पड़े फुहार,
अब इससे ज्यादा क्या कहूं,
वो मस्त भंग में हो गया,
कावड़ियों के मेले में,
मेरा शिव सन्यासी हों गया,
कावड़ियों के मेले में।।
तर्ज – दिल चोरी साटा हो गया।
मेरा नाथ बड़ा है भोला,
करे भांग के ऊपर रोला,
जोगी का भेष बना के,
कांधे पे लटके झोला,
संग कुण्डी सोटा ले गया,
कावड़ियों के मेले में,
मेरा शिव सन्यासी हों गया,
कावड़ियों के मेले में।
सावन की मस्त बहार,
ऐसी ठंडी पड़े फुहार,
अब इससे ज्यादा क्या कहूं,
वो मस्त भंग में हो गया,
कावड़ियों के मेले में,
मेरा शिव सन्यासी हों गया,
कावड़ियों के मेले में।।
कैलाश पे हल्ला भारी,
कहाँ चले गए भंडारी,
कहीं ब्रम्हा विष्णु ढूंढे,
कही ढूंढे गौरा प्यारी,
संग में नंदी को ले गया,
कावड़ियों के मेले में,
मेरा शिव सन्यासी हों गया,
कावड़ियों के मेले में।
सावन की मस्त बहार,
ऐसी ठंडी पड़े फुहार,
अब इससे ज्यादा क्या कहूं,
वो मस्त भंग में हो गया,
कावड़ियों के मेले में,
मेरा शिव सन्यासी हों गया,
कावड़ियों के मेले में।।
मेरे शिव का रूप निराला,
है लम्बे चोटे वाला,
कर में त्रिशूल और डमरू,
गल में सर्पो की माला,
भक्तो के मन को मोह गया,
कावड़ियों के मेले में,
मेरा शिव सन्यासी हों गया,
कावड़ियों के मेले में।
सावन की मस्त बहार,
ऐसी ठंडी पड़े फुहार,
अब इससे ज्यादा क्या कहूं,
वो मस्त भंग में हो गया,
कावड़ियों के मेले में,
मेरा शिव सन्यासी हों गया,
कावड़ियों के मेले में।।
मेरा शिव सन्यासी हो गया,
कावड़ियों के मेले में,
बम बम की धुन में खो गया,
कावड़ियों के रेले में,
सावन की मस्त बहार,
ऐसी ठंडी पड़े फुहार,
अब इससे ज्यादा क्या कहूं,
वो मस्त भंग में हो गया,
कावड़ियों के मेले में,
मेरा शिव सन्यासी हों गया,
कावड़ियों के मेले में।।
Singer: Ramkunwar Saini