मेरा श्याम जो करता है,
सब अच्छा करता है,
ये काम कोई भी हो,
नही कच्चा करता है,
मेरा श्याम जों करता है,
सब अच्छा करता है।।
तर्ज – हनुमान की पूजा से सब काम।
प्रेमी के संग में गर,
इंसाफ करता है,
प्रेमी जो करता पाप,
नही माफ़ करता है,
ये न्याय जो करता है,
सब सच्चा करता है,
मेरा श्याम जों करता है,
सब अच्छा करता है।।
कितने पानी में कौन,
ये नाप लेता है,
किसके भीतर है क्या,
ये झांक लेता है,
ये नजरे उनसे फेरे,
जो गच्चा करता है,
मेरा श्याम जों करता है,
सब अच्छा करता है।।
है किसकी इतनी मजाल,
प्रेमी को छू सके,
अरे काल भी छूने से,
पहले इनसे पूछे,
काल भी इनके आगे,
तब बच्चा लगता है,
मेरा श्याम जों करता है,
सब अच्छा करता है।।
गौरव ये बढ़ाता है,
‘निर्मल’ से प्रेमी का,
जो प्रेम करे सबसे,
ये है उस प्रेमी का,
अपने भक्तो का बाबा,
सर ऊँचा रखता है,
मेरा श्याम जों करता है,
सब अच्छा करता है।।
मेरा श्याम जो करता है,
सब अच्छा करता है,
ये काम कोई भी हो,
नही कच्चा करता है,
मेरा श्याम जों करता है,
सब अच्छा करता है।।
स्वर – मनीष भट्ट।