मेरा यार यशोदा,
कुँवर हो चुका है,
वो दिल हो चुका है,
जिगर हो चुका है,
मेरा यार यशोंदा,
कुँवर हो चुका है।।
जगत कि सभी,
खूबियाँ मैंने छोड़ी,
जो दिल था इधर,
अब उधर हो चुका है,
मेरा यार यशोंदा,
कुँवर हो चुका है।।
ये सच जानिये उसकी,
बस इक नज़र पर,
जो कुछ पास था,
सब नज़र हो चुका है,
मेरा यार यशोंदा,
कुँवर हो चुका है।।
वो उस मस्त कि खुद,
खबर ले रहा है,
लो उसके लिए,
बेखबर हो चुका है,
मेरा यार यशोंदा,
कुँवर हो चुका है।।
नहीं आँख का अश्रु,
जल ‘बिन्दु’ है यह,
ये उल्फ़त में लालो,
मेहर हो चुका है,
मेरा यार यशोंदा,
कुँवर हो चुका है।।
मेरा यार यशोदा,
कुँवर हो चुका है,
वो दिल हो चुका है,
जिगर हो चुका है,
मेरा यार यशोंदा,
कुँवर हो चुका है।।
रचना – श्री बिंदु जी महाराज।
स्वर – श्री चित्र विचित्र जी महाराज।