मेरे बाबा तेरी रहमत तो,
दिन रात बरसती रहती है,
पर ना जाने क्यूँ ये अँखियाँ,
दिन रात तरसती रहती हैं,
ओ मेरे बाबा ओ मेरे बाबा,
बाबा बाबा मेरे बाबा।।
तर्ज – मेरा दिल भी कितना पागल।
मैं जब भी खाटू आता हूँ,
तुझे खूब निहार के जाता हूँ,
पर घर आने पर क्यूँ बाबा,
मेरी आँखें भीगी रहती हैं।
मेरे बाबा तेरी रहमत तों,
दिन रात बरसती रहती है,
पर ना जाने क्यूँ ये अँखियाँ,
दिन रात तरसती रहती हैं,
ओ मेरे बाबा ओ मेरे बाबा,
बाबा बाबा मेरे बाबा।।
लाखों को तुमने तारा है,
तेरा दास क्यूँ गम का मारा है,
मेरी भी सुनलो बाबा तुम,
ये बात ज़ुबान पर रहती है।
मेरे बाबा तेरी रहमत तों,
दिन रात बरसती रहती है,
पर ना जाने क्यूँ ये अँखियाँ,
दिन रात तरसती रहती हैं,
ओ मेरे बाबा ओ मेरे बाबा,
बाबा बाबा मेरे बाबा।।
इस दास की अर्ज़ी सुन लो ना,
तुम लखदातार कहाते हो,
लाखों की नही दरकार मुझे,
तेरी कृपा की अर्ज़ी रहती है।
मेरे बाबा तेरी रहमत तों,
दिन रात बरसती रहती है,
पर ना जाने क्यूँ ये अँखियाँ,
दिन रात तरसती रहती हैं,
ओ मेरे बाबा ओ मेरे बाबा,
बाबा बाबा मेरे बाबा।।
ग़लती की माफी दे दो ना,
ये दास ‘सुनील’ तो कहता है,
बाबा जग की कोई चीज़ नही,
बस तुझपे नज़र ये रहती है।
मेरे बाबा तेरी रहमत तों,
दिन रात बरसती रहती है,
पर ना जाने क्यूँ ये अँखियाँ,
दिन रात तरसती रहती हैं,
ओ मेरे बाबा ओ मेरे बाबा,
बाबा बाबा मेरे बाबा।।
मेरे बाबा तेरी रहमत तो,
दिन रात बरसती रहती है,
पर ना जाने क्यूँ ये अँखियाँ,
दिन रात तरसती रहती हैं,
ओ मेरे बाबा ओ मेरे बाबा,
बाबा बाबा मेरे बाबा।।
स्वर – सुनील कुमार शर्मा।