मेरे बाबोसा सरकार,
तू ही भगतो का प्यार,
कभी छुटे न ये द्वार,
मने अच्छा लागे से,
घेवर छगनी के लाल,
तेरी महिमा विशाल,
जग में तू बेमिशाल,
मने अच्छा लागे से,
मेरे मन में बाबोसा,
मेरे तन मे बाबोसा,
मैं तो जपु तेरा नाम,
मने अच्छा लागे से।।
जिस घर मे जले तेरी ज्योत बाबोसा,
रहती सदा ही वहाँ मौज बाबोसा,
होते दर्शन तेरे हर रोज बाबोसा,
तेरी छवि में दिव्य ओज बाबोसा,
सर पे है तेरा हाथ,
हुई कृपा की बरसात,
तेरा मेरा रहे साथ,
मने अच्छा लागे से,
मेरे मन में बाबोसा,
मेरे तन मे बाबोसा,
मैं तो जपु तेरा नाम,
मने अच्छा लागे से।।
रीझे तुमपे स्वयं हनुमान बाबोसा,
लियो कलयुग में अवतार बाबोसा,
तेरा बालाजी के जैसा श्रंगार बाबोसा,
लीले घोड़े पर है सवार बाबोसा,
आता जो भी तेरे धाम,
जपते हुए नाम,
बनते उनके सारे काम,
मने अच्छा लागे से,
मेरे मन में बाबोसा,
मेरे तन मे बाबोसा,
मैं तो जपु तेरा नाम,
मने अच्छा लागे से।।
मंजू बाईसा का है ये अरमान बाबोसा,
बने घर घर मन्दिर आलीशान बाबोसा,
होवे मन्दिर में भव्य प्रतिस्ठा बाबोसा,
जन जन करे अनुस्ठान बाबोसा,
मेरे बाबोसा सरकार,
आओ कभी मेरे द्वार,
“दिलबर” करे तेरा है इंतजार,
मने अच्छा लागे से,
मेरे मन में बाबोसा,
मेरे तन मे बाबोसा,
मैं तो जपु तेरा नाम,
मने अच्छा लागे से।।
गायिका – कविता राजवंश।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
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