मेरे भोले त्रिनेत्र वाले,
मेरे भोले त्रिशूल वाले,
मेरे भोले त्रिशूल वाले,
त्रिशूल वाले त्रिशूल वाले।।
तुम्हारा नाम भोले है,
गले सर्पो की माला है,
जटा से बह रही गंगा,
तू देवों में निराला है,
मेरे भोलें त्रिनेत्र वाले,
मेरे भोले त्रिशूल वाले।।
तुम्हारे हाथ मे डमरू,
प्रभु डम डम डमाती है,
हमारे दिल में भक्ति की,
ये नित गंगा बहाती,
मेरे भोलें त्रिनेत्र वाले,
मेरे भोले त्रिशूल वाले।।
जटोँ में चंद्रमा में धारे,
जो चम चम चमाता है,
तुम्हारा नाम शिव शम्भू,
तभी तो सबको भाता है,
मेरे भोलें त्रिनेत्र वाले,
मेरे भोले त्रिशूल वाले।।
तेरे सुमिरन से मिलता है,
खजाना तेरी भक्ति का,
कहे ‘राजेन्द्र’ मिलता है,
तुम्ही से द्वार मुक्ति का,
मेरे भोलें त्रिनेत्र वाले,
मेरे भोले त्रिशूल वाले।।
मेरे भोले त्रिनेत्र वाले,
मेरे भोले त्रिशूल वाले,
मेरे भोले त्रिशूल वाले,
त्रिशूल वाले त्रिशूल वाले।।
गीतकार/गायक – राजेंद्र प्रसाद सोनी।
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