मेरे चन्द्रप्रभु भगवान,
तेरी प्रतिष्ठा है मनोहारी,
मन आनंद से है भरा,
और महके आतम की क्यारी,
मेरे चंद्रप्रभु भगवान,
तेरी प्रतिस्ठा है मनोहारी।।
तर्ज – मैं रंग शरबतो का।
माता लक्ष्मणा के जाये,
आये प्रभु जी आए,
करने सभी भक्तो का कल्याण,
ज्ञान के सागर है ये,
प्रेम की गागर है ये,
वीतरागी मेरे भगवान,
है तीन लोक के नाथ,
है जिनवर ये उपकारी,
जैसे चमके दूज का चाँद,
है करुणा की मूरत प्यारी,
मेरे चंद्रप्रभु भगवान,
तेरी प्रतिस्ठा है मनोहारी।।
कुमकम कलश सजाओ,
मोतियों से चोक पुराओ,
नगरी सजाओ सब मिलकर के,
द्वार तोरण बंधाओ,
पलके राहो में बिछाओ,
आयेंगे आज हमारे प्रभुवर,
सखी मंगल गावो आज,
सँग बजेंगे मधुर साज,
शुभ मंगल बेला आज,
जय चन्द्र प्रभु जिनराज,
मेरे चंद्रप्रभु भगवान,
तेरी प्रतिस्ठा है मनोहारी।।
केसर कुमकुम लगावों,
रंग गुलाल उड़ाओ,
मेहंदी लगाओ सबके हाथ,
नागोठाणा की धरती,
स्वर्ग सी आज है लगती,
अदभुत नजारा मेरे गांव का,
हुआ स्वपन ये साकार,
आये चन्द्र प्रभु सरकार,
छाई खुशियो की है बहार,
बोले निखिल जयकारा,
मेरे चंद्रप्रभु भगवान,
तेरी प्रतिस्ठा है मनोहारी।।
मेरे चन्द्रप्रभु भगवान,
तेरी प्रतिष्ठा है मनोहारी,
मन आनंद से है भरा,
और महके आतम की क्यारी,
मेरे चंद्रप्रभु भगवान,
तेरी प्रतिस्ठा है मनोहारी।।
गायक – निखिल सोनिगरा मुम्बई।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन म.प्र. 9907023365