मेरे दिल की पतंग में श्याम,
की डोर तू लगाई देना,
कहीं और ना उड़ जाए,
इसे खाटू धाम उड़ाई देना,
मेरें दिल की पतंग में श्याम,
की डोर तू लगाई देना।।
सांवरिया तेरी हो जाए,
डाल दे अपनी डोर जी,
और किसी का ना हो जाए,
खींच ले अपनी ओर जी,
तेरा होगा बड़ा एहसान,
की मंदिर तक पहुँचाई देना,
मेरें दिल की पतंग में श्याम,
की डोर तू लगाई देना।।
अपनी अंगुली से तू डोरी,
रोज हिलाते रहना श्याम,
तू अपने दरबार में इसको,
रोज नचाते रहना श्याम,
तुम्हे झुक झुक करे ये प्रणाम,
की इसको ये सिखाई देना,
मेरें दिल की पतंग में श्याम,
की डोर तू लगाई देना।।
रखना अपनी नजर में बाबा,
इधर उधर मुड़ जाए ना,
तेरी चौखट छोड़ किसी से,
पेंच कहीं लड़ जाए ना,
ये दुनिया बड़ी बेईमान,
की दुनिया से बचाई लेना,
मेरें दिल की पतंग में श्याम,
की डोर तू लगाई देना।।
जब तक है जिंदगानी मेरी,
पतंग कहीं काट जाए ना,
तेरे हाथ से डोर ना छूटे,
ध्यान तेरा हट जाए ना,
इसपे ‘बनवारी’ लिख दे तेरा नाम,
ये किरपा तू बरसाई देना,
मेरें दिल की पतंग में श्याम,
की डोर तू लगाई देना।।
मेरे दिल की पतंग में श्याम,
की डोर तू लगाई देना,
कहीं और ना उड़ जाए,
इसे खाटू धाम उड़ाई देना,
मेरें दिल की पतंग में श्याम,
की डोर तू लगाई देना।।
स्वर – सौरभ मधुकर जी।