जब पूछा गुरु चरणों में,
मेरा गंगा से क्या नाता है,
मेरे गुरु ने बताया है,
गंगा मेरी माता है।।
भगवान कपिल की आज्ञा से,
भागीरथ करी पुकार,
गंगा उतरी धरती पर,
सबका कर दिया उध्दार,
ये कल कल करती धारा,
इसमें हर कोई तर जाता है,
मेरे गुरु ने बताया हैं,
गंगा मेरी माता है।।
गंगा संतों की प्यारी,
ऋषियों की दुलारी है,
बाकी नदियाँ नदियाँ हैं,
ये सबसे न्यारी है,
ये पापनाशनी है अगर,
कोई डूबकी लगाता है,
मेरे गुरु ने बताया हैं,
गंगा मेरी माता है।।
खुद भी पियो गंगाजल,
औरों को पिलाया करो,
हर हर गंगे हर हर गंगे,
यू कह के नहाया करो,
श्रद्धा से पान करे कोई,
वो यम द्वार न जाता है,
मेरे गुरु ने बताया हैं,
गंगा मेरी माता है।।
जिनके चरणों का जल है,
वो भी मिल जाऐंगे,
गंगा मैया की कृपा से,
हम सब तर जाऐंगे,
भक्ति मुक्ति पाता है,
जो ये अमृत पी जाता है,
मेरे गुरु ने बताया हैं,
गंगा मेरी माता है।।
जब पूछा गुरु चरणों में,
मेरा गंगा से क्या नाता है,
मेरे गुरु ने बताया है,
गंगा मेरी माता है।।
स्वर – श्री अमृतराम जी महाराज।
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