मेरे इस परिवार का खर्चा,
तुझसे ही चलता है,
तू जो संग चलता है,
मुझको आगे बढ़ता देखकर,
अपना ही जलता है,
तू जो संग चलता है।।
तर्ज – धरती सुनहरी अम्बर नीला।
मेरे दिल में सांवरे तेरा,
सूंदर सा छोटा सा घर है,
मेरे आगे पीछे तू ही,
फिर मुझको किसका डर है,
तेरी किरपा से ही सांवरे,
दुःख सारा टलता है,
तू जो संग चलता है।।
तेरी चौखट पे आने से,
तकदीर बदल गई मेरी,
जब से लहराई सर पे,
ये मोरछड़ी जो तेरी,
हर बगियाँ का फूल सांवरे,
तुझसे ही खिलता है,
तू जो संग चलता है।।
इस मतलब की दुनिया में,
नहीं कोई श्याम अब मेरा,
कहता ‘अविनाश’ ये बाबा,
ना छूटे साथ अब तेरा,
दर पे तेरे मुझे सांवरे,
हर सुकून मिलता है,
तू जो संग चलता है।।
मेरे इस परिवार का खर्चा,
तुझसे ही चलता है,
तू जो संग चलता है,
मुझको आगे बढ़ता देखकर,
अपना ही जलता है,
तू जो संग चलता है।।
स्वर – निशा द्विवेदी।
– लेखक एवं प्रेषक –
अविनाश जी दाधीच।
9587011104