मेरे कान्हा में वो जादू है,
जो भी एक झलक पाता है,
एक पल भी ना वो रह पाता,
बिन डोर खींचा आता है,
बिन डोर खींचा आता है,
मेरे कान्हा में वो जादू है।।
तर्ज – तेरे चेहरे में वो जादू है।
तुझको मंदिर में ढूंढा,
तुझको महफ़िल में ढूंढा,
तुझ बिन ये जग है सूना,
कान्हा कहां तेरा है ठिकाना,
हस के कान्हा ने बोला,
अपना भेद वहां खोला,
जिसने आंखो को खोला,
तेरे दिल में ही रहते हैं कान्हा,
जो भी मन से मुझको ध्याए,
वो मुझको पा जाता है,
वो मुझको पा जाता है,
मेरे कान्हा में वो जादू है।।
आंखो में तेरी सूरत,
दिल में है तेरी मूरत,
मुझको दे दे इतना हक,
कान्हा करता रहूं तेरी सेवा,
समझो आंखो की भाषा,
इनको है तुझसे आशा,
दिल तेरे दर्शन का प्यासा,
कान्हा भक्तो ने तुझको पुकारा,
आंखो से आंसू बहते हैं,
मै रोक नहीं पाता हूं,
मै रोक नहीं पाता हूं,
मेरे कान्हा में वो जादू है।।
मेरे कान्हा में वो जादू है,
जो भी एक झलक पाता है,
एक पल भी ना वो रह पाता,
बिन डोर खींचा आता है,
बिन डोर खींचा आता है,
मेरे कान्हा में वो जादू है।।
– भजन गायक एवं प्रेषक –
संजय अग्रवाल।
संपर्क – 8109459555