मेरे कृष्ण कन्हैया रे,
ओ मुरली बजैया रे,
मेरा भी कुछ सोच लो तुम,
कोई ना सहारा है,
तुझे दिल से पुकारा है,
मेरा भी कुछ सोच लो तुम।।
तर्ज – चिट्ठी ना कोई सन्देश।
जब से आया जग में,
बड़े दुखड़े देखे है,
अब और ना सह पाऊं,
कैसे ये लेखे है,
कुछ दया मेरे पे भी कर,
दे दे खुशियों का वर,
मेरा भी कुछ सोच लो तुम।।
अपनाया किसी ने ना,
सबने ठुकराया है,
यहाँ साथ कोई ना दे,
रो रो के सुनाया है,
कैसी दुनिया दारी,
पड़ रही बड़ी भारी,
मेरा भी कुछ सोच लो तुम।।
कैसा मेरा जीवन है,
कुछ समझ ना पाया मैं,
मेरे मालिक सुनले तू,
तेरे द्वार पे आया मैं,
आ मुझ पे भी करम कमा,
जसम को भी पार लगा,
मेरा भी कुछ सोच लो तुम।।
मेरे कृष्ण कन्हैया रे,
ओ मुरली बजैया रे,
मेरा भी कुछ सोच लो तुम,
कोई ना सहारा है,
तुझे दिल से पुकारा है,
मेरा भी कुछ सोच लो तुम।।
गायक – मास्टर वीरेंदर।