मेरे पित्र ने बुलवा दे,
गुरु गोरख स्यान मनाऊँगा,
गुरु गोरख स्यान मनाऊँगा,
गुरू गोरख स्यान मनाऊँगा,
मेरे पित्र न बूलवादे,
गूरू गोरख स्यान मनाऊँगा।।
तर्ज – श्री राम तै मनै मिलादे।
पित्रां का जब ध्यान धरुँ सूँ,
बन्द जावैं सैं हाथ मेरे,
पित्र देवता दिखते कोन्या,
दिखैं भूतडे़ मनै घेरें,
मेरे घर न पावन बणादे,
गुरू गोरख स्यान मनाऊँगा,
मेरे पित्र न बूलवादे,
गूरू गोरख स्यान मनाऊँगा।।
सुख शान्ति ना घर म बाबा,
कोन्या बरकत रहरी हो,
घर के मालीक साथ छोडगे,
नयू चिन्ता स गहरी हो,
मेरी दुविधा दूर भगादे,
गुरू गोरख स्यान मनाऊँगा,
मेरे पित्र न बूलवादे,
गूरू गोरख स्यान मनाऊँगा।।
हे नाथों के नाथ जागजा,
जगा मेरी तकदीर न,
फंसे बन्धन म पित्र दादा,
ल्यादे काट जँझीर न,
मेरा रूस्या राम मनादे,
गुरू गोरख स्यान मनाऊँगा,
मेरे पित्र न बूलवादे,
गूरू गोरख स्यान मनाऊँगा।।
कहरया गजेन्द्र तेरे आगै,
अपणी दुखद कहाणी नै,
कितना दर्द झेलरया ‘लक्की’,
पूछ आँसूआँ के पाणी न,
जखमाँ प मरहम लगादे,
गुरू गोरख स्यान मनाऊँगा,
मेरे पित्र न बूलवादे,
गूरू गोरख स्यान मनाऊँगा।।
मेरे पित्र ने बुलवा दे,
गुरु गोरख स्यान मनाऊँगा,
गुरु गोरख स्यान मनाऊँगा,
गुरू गोरख स्यान मनाऊँगा,
मेरे पित्र न बूलवादे,
गूरू गोरख स्यान मनाऊँगा।।
गायक – लक्की शर्मा पिचौलिया।
लेखक – गजेन्द्र स्वामी कुड़लाण।
(करनाल) 9996800660