मेरे साँई मेरे बाबा,
प्रभू इतना करम करदो,
रहमत से तुम अपनी,
झोली मेरी भर दो।।
तर्ज – बचपन की मोहब्बत को।
जीवन मेरा सूना है,
घट मे है अँधियारा,
बिन तेरी दया बाबा,
हो कैसे उजियारा,
आकर तुम घर मेरे,
प्रभू चरण कमल रख दो,
रहमत से तुम अपनी,
झोली मेरी भरदो।।
तेरे दर की महिमा तो,
साँई जग मे निराली है,
जो भी आए दर पर,
जाता नही खाली है,
इस दास पे भी अपने,
थोड़ी सी दया करदो,
रहमत से तुम अपनी,
झोली मेरी भरदो।।
मेरी उमर है छोटी सी,
तेरा द्वार है दूरी पे,
कैसे आऊँ बाबा,
मेरी मजबूरी है,
मेरी राहो को साँई,
आसान जरा करदो,
रहमत से तुम अपनी,
झोली मेरी भरदो।।
मेरे साँई मेरे बाबा,
प्रभू इतना करम करदो,
रहमत से तुम अपनी,
झोली मेरी भर दो।।
– भजन लेखक एवं प्रेषक –
श्री शिवनारायण वर्मा,
मोबा.न.8818932923
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