मेरे सांवरे अपनी दया का खजाना,
तुम्हे आज हमपे लुटाना पड़ेगा,
पड़ी जो मुसीबत तो तुम को पुकारा,
हमारी कसम तुमको आना पड़ेगा,
मेरे साँवरे अपनी दया का खजाना,
तुम्हे आज हमपे लुटाना पड़ेगा।।
भंवर में पड़ी है नैया हमारी,
कही दूर तक अब किनारा नहीं है,
बचालो कन्हैया आकर बचालो,
हमे अब किसी का सहारा नहीं है,
हमने सुना है के हम बेसहारो का,
कलयुग में तू ही सहारा बनेगा,
मेरे साँवरे अपनी दया का खजाना,
तुम्हे आज हमपे लुटाना पड़ेगा।।
ये माना के हम है गलतियों के पुतले,
मगर तुम दयालु हो ये जानते है,
तुम्हे अपने मालिक बंधू सखा और,
माता पिता भी तुम्हे मानते है,
अगर आंच हम पर जरा सी भी आई,
तुम्हारी दया पे जमाना हँसेगा,
मेरे साँवरे अपनी दया का खजाना,
तुम्हे आज हमपे लुटाना पड़ेगा।।
अगर ये है जिद तो जिद ही सही है,
हमारा क्या तुम पे ये हक भी नहीं है,
ना मानो बुरा इन बातो का दिलबर,
हम ने तो अपने दिल की कही है,
मेरी प्रीत साँची है साँची रहेगी,
‘संजू’ तुम्हे भी निभाना पड़ेगा,
मेरे साँवरे अपनी दया का खजाना,
तुम्हे आज हमपे लुटाना पड़ेगा।।
मेरे सांवरे अपनी दया का खजाना,
तुम्हे आज हमपे लुटाना पड़ेगा,
पड़ी जो मुसीबत तो तुम को पुकारा,
हमारी कसम तुमको आना पड़ेगा,
मेरे साँवरे अपनी दया का खजाना,
तुम्हे आज हमपे लुटाना पड़ेगा।।
स्वर – संजू शर्मा जी।