मेरे सांवरे के जैसा,
और कोई भी नही है,
जहां पर बरसती रहमत,
वो वृंदावन यही है,
मेरे साँवरे के जैसा,
और कोई भी नही है।।
ऐसा कृपालु जग में,
पाओगे ना कहीं भी,
दीन दुखियों का सहारा,
दीन दुखियों का सहारा,
वो आसरा यही है,
मेरे साँवरे के जैसा,
और कोई भी नही है।।
आ जाऐ जो भी दर पे,
मेरे सांवरे मोहन के,
भरे झोलीया सभी की,
भरे झोलीया सभी की,
वो द्वारा भी यही है,
मेरे साँवरे के जैसा,
और कोई भी नही है।।
बिगडा नसीब तुमनें,
कितनो का है बनाया,
वो हारे का सहारा,
वो हारे का सहारा,
चुलकाना भी यही है,
मेरे साँवरे के जैसा,
और कोई भी नही है।।
कहे ‘पागल मामा’ मोहन,
तुम हो जगत के मालिक,
तेरी लीला ने दिखाया,
तेरी लीला ने दिखाया,
वो नजारा भी यही है,
मेरे साँवरे के जैसा,
और कोई भी नही है।।
मेरे सांवरे के जैसा,
और कोई भी नही है,
जहां पर बरसती रहमत,
वो वृंदावन यही है,
मेरे साँवरे के जैसा,
और कोई भी नही है।।
गायक / प्रेषक – रसिक पागल मामा।
मोबाइल नं 9991515880