खाटू में जो भी आता है,
मेरे श्याम का होके,
रह जाता है,
आते है मुसाफिर,
जाते है मुसाफिर,
श्याम प्रेमी बनके,
रह जाते है मुसाफिर,
खाटू में जो भी आता है।।
तर्ज – मेला दिलों का।
रिंगस से बाबा,
तेरा नाम निशान उठाया हूं,
दर्शन को तेरे,
बड़ी दूर से चलके आया हूं,
एक बार जो आ गया,
उसका तू बन जाता है,
हार के दुनिया जीत गया,
जो तेरा बन जाता है,
खाटू में जो भी आता है।।
दुनिया से हारा,
तेरे दर पे बाबा आया हूं,
मुझको अपनाले,
मैं तेरा हूं ना पराया हूं,
सांवरे तेरे दर पे आकर,
मुझको अब नही जाना है,
श्याम प्रेमी हूं बाबा,
अब तेरा ही बन जाना है,
खाटू में जो भी आता है।।
खाटू में जो भी आता है,
मेरे श्याम का होके,
रह जाता है,
आते है मुसाफिर,
जाते है मुसाफिर,
श्याम प्रेमी बनके,
रह जाते है मुसाफिर,
खाटू में जो भी आता है।।
गायक / लेखक – ऋषभ श्रीवास्तव।
9009978181