मेरे श्याम प्रभु के जो,
दरबार में आते है,
हर हाल में भक्तों के,
संकट टल जाते है,
मेरें श्याम प्रभु के जो,
दरबार में आते है।।
जिसने भी याद किया,
भवसागर पार किया,
जिसने विश्वास किया,
गिरतो को थाम लिया,
नित चरणों में वंदन,
जो श्याम को करते है,
हर हाल में भक्तों के,
संकट टल जाते है,
मेरें श्याम प्रभु के जो,
दरबार में आते है।।
प्रीत की रीत सदा,
मेरे श्याम निभाते हैं,
जब जब भी भीड़ पड़े,
प्रभु दौड़े आते हैं,
ध्रुव प्रह्लाद और नरसी,
मीरा को तारे हैं,
हर हाल में भक्तों के,
संकट टल जाते है,
मेरें श्याम प्रभु के जो,
दरबार में आते है।।
कर्मा ने भक्ति की,
घर खिचड़ा है खाए,
प्रहलाद ने भक्ति की,
नरसिंह बनकर के आए,
नित श्याम नाम धुन की,
जो अलख जगाते है,
हर हाल में भक्तों के,
संकट टल जाते है,
मेरें श्याम प्रभु के जो,
दरबार में आते है।।
चांदण ग्यारस की रात,
जो जोत जलाते हैं,
उस घर के अंदर तो,
मेरे श्याम समाते हैं,
‘बिल्लू’ तो कहे बाबा,
किरपा बरसाते हैं,
हर हाल में भक्तों के,
संकट टल जाते है,
मेरें श्याम प्रभु के जो,
दरबार में आते है।।
मेरे श्याम प्रभु के जो,
दरबार में आते है,
हर हाल में भक्तों के,
संकट टल जाते है,
मेरें श्याम प्रभु के जो,
दरबार में आते है।।
गायक – मुकेश बागड़ा जी।
प्रेषक – अनिल भार्गव
6378865917