मेरे स्वरों को अपना स्वर दो,
गाऊँ मैं तेरी वाणी,
कंठ बसो महारानी,
कंठ बसो महारानी।।
तर्ज – मेरे नैना सावन भादो।
सुर का ज्ञान नहीं,
लय का ज्ञान नहीं,
तेरी वंदना इन होठों से,
फिर भी मैं तो गाऊं,
फिर भी मैं तो गाऊं,
ना मैं जानू कुछ भी मैया,
मैं तो हूं माँ अज्ञानी,
कंठ बसो महारानी,
कंठ बसो महारानी।।
नाम तेरा गाँऊ,
दर्श तेरा पाऊँ,
छोड़ तुम्हें मैं शारदे मैया,
मुझको बता कहां जाऊं,
मुझको बता कहां जाऊं,
तेरे चरणों में अर्पण है,
‘आनंद’ की जिंदगानी,
कंठ बसो महारानी,
कंठ बसो महारानी।।
मेरे स्वरों को अपना स्वर दो,
गाऊँ मैं तेरी वाणी,
कंठ बसो महारानी,
कंठ बसो महारानी।।
गायक / लेखक – आनन्द राज बर्मन।
संपर्क सूत्र – 6396273131