मेरी अम्बे माँ जगदंबे,
मेरी फरियाद सुन लेना,
तेरे चरणो में मस्तक है,
मुझे अपना बना लेना।।
सुना है पार करती हो,
तुम पतितों और अनाथों को,
भंवर में है मेरी नैया,
उसे भव पार लगा देना,
मेरी अंबे मां जगदंबे,
मेरी फरियाद सुन लेना।।
ये दुनिया पाप की बस्ती,
बिछा है जाल स्वारथ का,
छुड़ाकर जाल से मुझको,
शरण अपनी लगा लेना,
मेरी अंबे मां जगदंबे,
मेरी फरियाद सुन लेना।।
तू धर के रूप रण चण्डी,
किया वध पापी दुष्टों का,
तुम्हारी ही कृपा है,
शूल को भी फूल बना देना,
मेरी अंबे मां जगदंबे,
मेरी फरियाद सुन लेना।।
मैं पापी हूँ अधम मैया,
मेरे मन में अंधेरा है,
जगाकर ज्ञान की ज्योति,
मुझे मंदिर दिखा देना,
मेरी अंबे मां जगदंबे,
मेरी फरियाद सुन लेना।।
मेरी अम्बे माँ जगदंबे,
मेरी फरियाद सुन लेना,
तेरे चरणो में मस्तक है,
मुझे अपना बना लेना।।
Singer – Maninder Ji
प्रेषक – पं. विनोद पांडे।
7878489588