मेरी मात कालका आ जोड़े में,
गोरख की गेल।।
क्यों सोवै स जाग शेरणी,
निंद्रा अपणी त्याग शेरणी,
मुन्दरा आले न ठा जोडे म,
खाड़े म खेल,
मेरी मात कालका आ जोडे में,
गोरख की गेल।।
कोण रोक दे तनै आण तै,
लाल जीभ तेरी करुं पान त,
तेरी जोत लपेटे मारै दीवे म,
पूरा स तेल,
मेरी मात कालका आ जोडे में,
गोरख की गेल।।
मार मार किलकारी आईए,
संकट प करड़ाई चढ़ाईए,
दुखियों न आण बचाइए,
होरी सासां की जेल,
मेरी मात कालका आ जोडे में,
गोरख की गेल।।
रेखा भगतणी लुधीयाणे म,
लक्की पिचौलिया हरियाणे म,
गजेन्दर स्वामी तेरे बेटे की,
गाड्डी नै धकेल,
मेरी मात कालका आ जोडे में,
गोरख की गेल।।
मेरी मात कालका आ जोड़े में,
गोरख की गेल।।
गायक – लक्की पिचौलिया।
लेखक – गजेन्द्र स्वामी कुड़लण।
9996800660