मेरी मजधार में डोले नैया,
आकर बचा लो कन्हैया।।
अब नहीं है सहारा किसी और का,
कौन देता यहाँ साथ कमजोर का,
एक तुम ही हो मेरे खिवैया,
एक तुम ही हो मेरे खिवैया,
आकर बचा लो कन्हैया।।
चारो ओर बड़ा ही तूफान है,
तेरे भक्तों की खतरे में जान है,
है तेज दुखो की पुरवैया,
है तेज दुखो की पुरवैया,
आकर बचा लो कन्हैया।।
मैं हूँ इंसान तुम तो भगवान हो,
मेरे दुखो से नहीं तुम अनजान हो,
मुरली वाले ओ बंसी बजैया,
मुरली वाले ओ बंसी बजैया,
आकर बचा लो कन्हैया।।
पार भव से लगाना तेरा काम है,
मेरे होंठों पे बस एक तेरा नाम है,
अब कृपा की करो मुझपे छैया,
अब कृपा की करो मुझपे छैया,
आकर बचा लो कन्हैया।।
मेरी मजधार में डोले नैया,
आकर बचा लो कन्हैया।।
स्वर – आचार्य गौरवकृष्ण जी गोस्वामी।