मेरी ज़िंदगी को सहारा दो बाबा,
श्लोक – आन बसों मोरे नैनन में,
श्याम पलक ढाप तोहे लूँ,
ना मै देखूं और को,
ना तोहे देखन दूँ।
मेरी ज़िंदगी को सहारा दो बाबा,
भवर में फसा हूँ किनारा दो बाबा।।
नानी का भात भरने तू ही था दौड़ा आया,
तू ही था दौड़ा आया,
खेती संभाली धन्ना की कर्मा की भोग पाया,
कर्मा की भोग पाया,
मुझे भी भरोसा तुम्हारा ओ बाबा,
मेरी जिंदगी को सहारा दो बाबा,
भवर में फसा हूँ किनारा दो बाबा।।
पांचो पति के होते बेबस बनी बेचारी,
बेबस बनी बेचारी,
आजाओ हे कन्हैया वो द्रोपती पुकारी,
वो द्रोपती पुकारी,
बचा लो बचा लो पुकारा ओ बाबा,
मेरी जिंदगी को सहारा दो बाबा,
भवर में फसा हूँ किनारा दो बाबा।।
दुनिया भटक भटक कर मै तेरे दर पे आया,
मै तेरे दर पे आया,
खुशियो से भर दे दामन ना हो गमो का साया,
ना हो गमो का साया,
ना मंजिल है ‘लहरी’ इशारा दो बाबा,
मेरी जिंदगी को सहारा दो बाबा,
भवर में फसा हूँ किनारा दो बाबा।।
मेरी ज़िंदगी को सहारा दो बाबा,
भवर में फसा हूँ किनारा दो बाबा।।