मेवा नगर री डोडियां अध बीच,
दोहा – जमला माही जावणो,
जागे रावलमाल,
रूपा गुरु से अरज करे,
गुरु मारे सामी भाळ।
रूपा रावलमालदे मालाणी रे माय,
रूपा भजन करे भगवान का,
रावल भजन करण दे नाय।
मेवा नगर री डोडियां अध बीच,
रूपा डावड़िया रामत मोडियो रे जी,
मेवा नगर री डोडिया अध बीच,
रूपा डावड़िया रामत मोडियो रे जी।।
ऐ पूरिया है अलख धणी रो पाठ,
पगल्या पूरिया है रामा पीर रा रे जी,
ऐ परी कोरी है मेवा री बाजार,
चेहरों कोरियो हे रावल माल रो रे जी।।
घोड़ा वाला घोड़ों पाचो राख,
पगल्या भांगे है रामा पीर रा रे जी,
परी भोगे थु मेवा री बाजार,
चेहरों भोगे है रावल माल रो रे जी।।
कठे देखी है मेवा री बाजार,
कठे देख्या है रावल माल जी रे जी,
गई थी मु तो कच्छ भुज रे माय,
वोठे देख्या है रावल मालजी रे जी।।
कठड़े सोवे है चंद्र भाण,
कठड़े सोवे रावलमाल जी रे जी,
तारों में सोवे है चंद्र भाण,
बोधवे सोवे रावलमाल जी रे जी।।
मालजी ने मेवा गढ रो राज,
थोथी थळियो रो वंको राजवी रे जी,
मेवा नगर री डोडिया अध बीच,
रूपा डावड़िया रामत मोडियो रे जी।।
गायक – जेतपुरी जी महाराज।
प्रेषक – पुखराज पटेल।
97844 17723