म्हाने ऐसा सतगुरु भावे,
आठो पहर रहे मतवाला,
भर-भर प्याला पावे।।
नरक जावण रा नाका मुन्दे,
उलज्या न सुलझावे,
जगत पुनित तारण तिरणे को,
भाग हमारे आवे,
म्हानें ऐसा सतगुरु भावे।।
मन को मार करे भल भेटा,
दिल का दाग मिटावे,
पांच पच्ची स परे ले पटके,
अन्दर ध्यान लगावे,
म्हानें ऐसा सतगुरु भावे।।
हरि बिना हृदय और ना राखे,
गुण गोविन्द रा गावे,
जड़ी सजीवन है उर अन्दर,
मृतक जीव जिवावे,
म्हानें ऐसा सतगुरु भावे।।
परम पुरुष के अरस-परस है,
पर्दा खोल मिलावे,
गुरु दादू सा चरण कमल पर,
रजहब बली बली जावे,
म्हानें ऐसा सतगुरु भावे।।
म्हाने ऐसा सतगुरु भावे,
आठो पहर रहे मतवाला,
भर-भर प्याला पावे।।
गायक – सीताराम जी पड़ियार।
प्रेषक – सांवरिया निवाई।
7014827014
Super