अरज लगावे जी,
सांवरिया थासु अरज लगावे जी,
म्हारी आंख्या सु नीर बहे,
म्हाने हिचक्या आवे जी,
याद सतावे जी,
सांवरिया थारी याद सतावे जी,
म्हारी आंख्या सु नीर बहे,
म्हने हिचक्या आवे जी।।
तर्ज – हुस्न पहाड़ों का।
कागलियो तो मुंडेर पे बोले,
आजा रे कन्हैया म्हारो,
जिवडो यो डोले,
प्रीत या म्हारी काहे को तोले,
अरज लगावे जी,
सांवरिया थासु अरज लगावे जी।।
दिन कोन्या बीते,
कटे कोन्या रातां,
याद करूँ थारी मीठी मीठी बातां,
सुध म्हारी ले ल्यो,
थे बाबा आता जाता,
दास बुलावे जी,
सांवरिया थाने दास बुलावे जी,
म्हारी आंख्या सु नीर बहे,
म्हने हिचक्या आवे जी।।
छोड़ के जग थासु प्रीत लगाई,
काई कसर म्हारे भाव में आई,
बाबा क्यों म्हारी थे सुध बिसराई,
कुछ कोन्या भावे जी,
सांवरिया म्हाने कुछ कोन्या भावे जी,
म्हारी आंख्या सु नीर बहे,
म्हने हिचक्या आवे जी।।
थारो ही थो बाबा थारो ही रहूंगो,
प्यार तकरार बार बार करुँगो,
मनडे री बातां बाबा थासु ही कहुँगो,
‘रोमी’ गुण गावे जी,
सांवरिया थारा ‘रोमी’ गुण गावे जी,
म्हारी आंख्या सु नीर बहे,
म्हने हिचक्या आवे जी।।
अरज लगावे जी,
सांवरिया थासु अरज लगावे जी,
म्हारी आंख्या सु नीर बहे,
म्हाने हिचक्या आवे जी,
याद सतावे जी,
सांवरिया थारी याद सतावे जी,
म्हारी आंख्या सु नीर बहे,
म्हने हिचक्या आवे जी।।
स्वर – संजय मित्तल जी।
लेखक – रोमी जी।