म्हाने रंग दो नाथ थारे रंग में,
म्हारा ठाकुर लक्ष्मी रा नाथ,
म्हारे सिर पर राखो हाथ,
मेरे नाथ बसों म्हारे मन में,
म्हानें रंग दो नाथ थारें रंग में।।
तेरा श्याम रंग लागे प्यारा,
मेरी आँखों ने इसको निहारा,
अब तो बस जाओ मेरे नयन में,
म्हारा ठाकुर लक्ष्मी रा नाथ,
म्हारे सिर पर राखो हाथ,
मेरे नाथ बसों म्हारे मन में,
म्हानें रंग दो नाथ थारें रंग में।।
भोर भोर मैं द्वारे आवां,
चरणामृत तुलसी पावां,
हो ऐसी लगन लगाओ जीवन में,
म्हारा ठाकुर लक्ष्मी रा नाथ,
म्हारे सिर पर राखो हाथ,
मेरे नाथ बसों म्हारे मन में,
म्हानें रंग दो नाथ थारें रंग में।।
थारे रूप में मैं खो जावां,
जब चाहवां मैं दर्शन पावां,
हो ऐसी ज्योत जलाओ ह्रदय में,
म्हारा ठाकुर लक्ष्मी रा नाथ,
म्हारे सिर पर राखो हाथ,
मेरे नाथ बसों म्हारे मन में,
म्हानें रंग दो नाथ थारें रंग में।।
प्रीतराज मैं जाऊ बलिहारी,
आया नाथ शरण में तिहारी,
हो अब तो रखलो थोरी शरण में,
म्हारा ठाकुर लक्ष्मी रा नाथ,
म्हारे सिर पर राखो हाथ,
मेरे नाथ बसों म्हारे मन में,
म्हानें रंग दो नाथ थारें रंग में।।
म्हाने रंग दो नाथ थारे रंग में,
म्हारा ठाकुर लक्ष्मी रा नाथ,
म्हारे सिर पर राखो हाथ,
मेरे नाथ बसों म्हारे मन में,
म्हानें रंग दो नाथ थारें रंग में।।
प्रेषक – मालचंद सारस्वत।
9166267551