आओ पधारो बाबोसा थाने,
मोतीया सु बधाऊँ सा,
देख आपरी प्यारी छवि,
था पर बलिहारी जाऊँ सा,
म्हे बलिहारी जाऊँ सा,
खमा घणी खमा घणी,
म्हारा बाबोसा ने खम्मा घणी,
खमा घणी खमा घणी,
चूरू वाला ने खमा घणी,
मनडे रा मोर बोले सा,
बाबोसा ने खमा घणी।।
तर्ज – मनडे रो मोरियो बोल्यो।
है बाबोसा भगवन म्हारा,
थे प्राणों से भी प्यारा जी,
थारे चरणों माही बाबोसा,
म्हे बैठ के जीवन संवारा जी,
खमा घणी खमा घणी,
चूरू वाला ने खमा घणी,
मनडे रा मोर बोले सा,
बाबोसा ने खमा घणी।।
छोड़ी या जगत री झूठी रीत,
बाबोसा थांसु बांधी या प्रीत,
म्हारे हिवड़े माही थे बसीया,
थे ही म्हारे मनडे रा मीत,
खमा घणी खमा घणी,
चूरू वाला ने खमा घणी,
मनडे रा मोर बोले सा,
बाबोसा ने खमा घणी।।
थारा टाबरिया ने दर्शन दीजो,
मंजू बाईसा ने सागे लिय्याजो,
‘दिलबर’ भक्तो री अर्जी है,
ओ बाबोसा पूरी करजो,
खमा घणी खमा घणी,
चूरू वाला ने खमा घणी,
मनडे रा मोर बोले सा,
बाबोसा ने खमा घणी।।
आओ पधारो बाबोसा थाने,
मोतीया सु बधाऊँ सा,
देख आपरी प्यारी छवि,
था पर बलिहारी जाऊँ सा,
म्हे बलिहारी जाऊँ सा,
खमा घणी खमा घणी,
म्हारा बाबोसा ने खम्मा घणी,
खमा घणी खमा घणी,
चूरू वाला ने खमा घणी,
मनडे रा मोर बोले सा,
बाबोसा ने खमा घणी।।
गायिका – सम्यता बेनर्जी मुम्बई।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
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