म्हारा बाल गोविंदा जी,
की म्हारे घर रमवा आजो जी,
ठाकुर छेल छबीला जी,
की म्हारे घर रमवा आजो जी।।
लाडु मंगई दूँ पेड़ा मंगई दूँ,
साथ मे माखन मिश्री जी,
म्हारा मन मे ऐसी आवै,
की छप्पन भोग जिमई दूँ,
म्हारा बाल गोविन्दा जी की,
म्हारे घर रमवा आजो जी।।
हाथ धुलई दूँ पाँव धुलई दूँ,
और धूलव थारौ मुंडों जी,
म्हारा मन मे ऐसी आवै,
की अपने हाथ निहलई दूँ,
म्हारा बाल गोविंदा जी की,
म्हारे घर रमवा आजो जी।।
चरमरीया झूल सिलई दूँ,
रंग राधा की टोपी जी,
म्हारा मन मे ऐसी आवै,
अपने हाथ पिरई दूँ,
म्हारा बाल गोविन्दा जी की,
म्हारे घर रमवा आजो जी।।
राधा बुलई दूँ रुकमणी बुलई दूँ,
और बुलऊ सत्यभामा जी,
म्हारा मन मे ऐसी आवै,
संग मे रास रचई दूँ,
म्हारा बाल गोविन्दा जी की,
म्हारे घर रमवा आजो जी।।
म्हारा बाल गोविन्दा जी,
की म्हारे घर रमवा आजो जी,
ठाकुर छेल छबीला जी,
की म्हारे घर रमवा आजो जी।।
गायक – मनीष तिवारी इंदौर।
Nice bhajan