म्हारा हरिया बन रा सुवटिया,
तने राम मिले तो कहिजे रे,
राम मिले तो कहिजे रे,
घनश्याम मिले तो कहिजे रे,
म्हारा हरीया बन रा सुवटिया,
तने राम मिले तो कहिजे रे।।
पांच तत्व का बणिया पिंजरा,
ज्यामे बैठ्यो रिज्ये रे,
यो पिंजरों अब भयो पुराणों,
नित नई खबरां दिज्ये रे,
म्हारा हरीया बन रा सुवटिया,
तने राम मिले तो कहिजे रे।
राम मिले तो कहिजे रे,
घनश्याम मिले तो कहिजे रे,
म्हारा हरीया बन रा सुवटिया,
तने राम मिले तो कहिजे रे।।
इस पिंजरे के दस दरवाजा,
आतो जातो रहिजे रे,
अरे रामनाम की भरले नोका,
नित भजना में रहिजये रे,
म्हारा हरीया बन रा सुवटिया,
तने राम मिले तो कहिजे रे।
राम मिले तो कहिजे रे,
घनश्याम मिले तो कहिजे रे,
म्हारा हरीया बन रा सुवटिया,
तने राम मिले तो कहिजे रे।।
काम क्रोध मद लोभ त्याग ने,
गुरु चरणा में रहिजये रे,
मीरा के प्रभु गिरधरनागर,
चित चरणा में रहिजये रे,
म्हारा हरीया बन रा सुवटिया,
तने राम मिले तो कहिजे रे।
राम मिले तो कहिजे रे,
घनश्याम मिले तो कहिजे रे,
म्हारा हरीया बन रा सुवटिया,
तने राम मिले तो कहिजे रे।।
म्हारा हरिया बन रा सुवटिया,
तने राम मिले तो कहिजे रे,
राम मिले तो कहिजे रे,
घनश्याम मिले तो कहिजे रे,
म्हारा हरीया बन रा सुवटिया,
तने राम मिले तो कहिजे रे।।
स्वर – विष्णुदास जी महाराज पुष्कर।
Upload By – Ramswaroop lovevanshi
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Good
Very nice