म्हारा रामापीर जी गेंद,
खेलण ने जावे,
कळा ये दिखावे,
धणी देवे दड़ी रे डोटो,
खेल रचावे,
धणी देवे दड़ी रे डोटो,
खेल रचावे।।
आ गेंद गुरु श्री,
बालकनाथ डर जावे,
बाबा लारे जावे,
बाबा बालकनाथ जी देख,
धणी ने घबरावे,
म्हारां रामापीर जी गेंद,
खेलण ने जावे,
कळा ये दिखावे।।
बेटा जहां सू पाछो जाय,
भैरूड़ो आवे,
मिनख ने खावे,
थू मानले म्हारी बात,
प्राण क्यूँ गमावे,
म्हारां रामापीर जी गेंद,
खेलण ने जावे,
कळा ये दिखावे।।
गुरु आगे अंधेरी रात,
हमे कठे जाऊँ,
अठे छिप जाऊँ,
गुरु दया देखकर,
धणियो ने गुदड़ी ओढावे,
म्हारां रामापीर जी गेंद,
खेलण ने जावे,
कळा ये दिखावे।।
अब आयो भैरूड़ो,
हँस हँस दाँत दिखावे,
गुरु ने धमकावे,
मने आवे मानखे री बास,
थूं क्यूँ न बतावे,
म्हारां रामापीर जी गेंद,
खेलण ने जावे,
कळा ये दिखावे।।
इतने में रामसा,
गुदड़ी ने हिलावे,
भैरूड़ो हरषावे,
भेरू खेंच खेंच कर गुदड़ी,
थक जावे,
म्हारां रामापीर जी गेंद,
खेलण ने जावे,
कळा ये दिखावे।।
अब डर कर भेरू,
आज वटा सू भाग जावे,
बाबो लारे जावे,
धणी दे भाला री,
भैरू रो अंत करावे,
म्हारां रामापीर जी गेंद,
खेलण ने जावे,
कळा ये दिखावे।।
बाबा लखन चौधरी,
थारी शरण में आवे,
थारा ही गुण गावे,
धणी मार भैरू ने,
भूमि रो भार मिटावे,
म्हारां रामापीर जी गेंद,
खेलण ने जावे,
कळा ये दिखावे।।
म्हारा रामापीर जी गेंद,
खेलण ने जावे,
कळा ये दिखावे,
धणी देवे दड़ी रे डोटो,
खेल रचावे,
धणी देवे दड़ी रे डोटो,
खेल रचावे।।
गायक – विजयसिंह राजपुरोहित।
प्रेषक – रामेश्वर लाल पँवार।
आकाशवाणी सिंगर।
9785126052