ओ म्हारा रुणीजा रा श्याम,
जग में साचो थारो नाम,
पगल्या पुजवाया थारा मारवाड़ में।।
धरती राजस्थान में वो,
रुणिचो इक गांव,
दूर देश रा आवे जातरी,
लेवे थारो नाम,
मारा रुणीजा रा श्याम,
जग में साचो थारो नाम,
पगल्या पुजवाया थारा मारवाड़ में।।
अरे कोड्ंया ने थे काया देनी,
निर्धनिया ने माया,
थारे सरणा जो भी आवे,
जा रे नई दुखड़ा रो काम,
मारा रुणीजा रा श्याम,
जग में साचो थारो नाम,
पगल्या पुजवाया थारा मारवाड़ में।।
ई कलयुग में पर्चा भारी,
आवे नर और नारी,
जो भी थारे सरणा आवे,
होवे पूर्ण काम,
मारा रुणीजा रा श्याम,
जग में साचो थारो नाम,
पगल्या पुजवाया थारा मारवाड़ में।।
सांचा मन से जो कोई ध्यावे,
लीलाधारी नैडो आवे,
सांचा मन से जो भी ध्यावे,
नैया पार लगावे,
रघुवंशी थारा भजन बणावे,
राख दया रो हाथ,
मारा रुणीजा रा श्याम,
जग में साचो थारो नाम,
पगल्या पुजवाया थारा मारवाड़ में।।
चालो चालो रे भाईडा मारा रुणीजा,
मारो बाबो नैया पार करें,
मारो बाबो नैया पार करे,
मारो बाबो सबकी भली करे।
ओ म्हारा रुणीजा रा श्याम,
जग में साचो थारो नाम,
पगल्या पुजवाया थारा मारवाड़ में।।
लेखक / गायक – जय सिंह रघुवंशी।
9983515290