म्हारा सतगुरु दिनी रे बतायेे,
दलाली हिरा लालन की,
म्हारा सतगुरु दिनी रे बतायेे,
दलाली हिरा लालन की।।
लाली लाली सब कहे,
सबके पल्ले लाल,
गाँठ खोल परखी नही रे,
ईन विध भयो रे कंगाल,
दलाली हिरा लालन की,
म्हारा सतगुरु दीन्हि रे बतायेे,
दलाली हिरा लालन की।।
लाली पड़ी मैदान में,
अलख उलांगियो जाए,
नुगरा ठोकर मार दिनी,
सुगरा तो लिनी रे उठाये,
दलाली हिरा लालन की,
म्हारा सायब दीन्हि रे बतायेे,
दलाली हिरा लालन की।।
इधर से अंधा आविया रे,
उधर से अंधा आये,
आंधा ने आंधा मिले रे,
मार्ग कुण तो बताये,
दलाली हिरा लालन की,
म्हारा सतगुरु दीन्हि रे बतायेे,
दलाली हिरा लालन की।।
माखी बैठी शहत पर रे,
पंखुड़िया लिपटाये,
उड़ने रा सासा पड़े रे,
लालच बुरी रे बला,
दलाली हिरा लालन की,
म्हारा सतगुरु दीन्हि रे बतायेे,
दलाली हिरा लालन की।।
लाली लाली सब कहे रे,
लाली लखी न जाये,
लाली लखी एक दास कबीरसा,
आवागमन मिट जाये,
दलाली हिरा लालन की,
म्हारा सतगुरु दीन्हि रे बतायेे,
दलाली हिरा लालन की।।
म्हारा सतगुरु दिनी रे बतायेे,
दलाली हिरा लालन की,
म्हारा सतगुरु दिनी रे बतायेे,
दलाली हिरा लालन की।।
“श्रवण सिंह राजपुरोहित द्वारा प्रेषित”
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