म्हारे घरा आओ एक बार बाबा,
आर बाबा पार बाबा,
म्हारें घरा आओ एक बार बाबा,
सुन्दर तेरी छवि प्यारी,
जाऊं मैं तो वारी वारी,
करके लीले की असवारी मेरे श्याम,
आर बाबा पार बाबा,
म्हारें घरा आओ एक बार बाबा।।
म्हारे मन में घणो चाव,
थे म्हारे घरा भी आओ,
म्हें थारा श्रृंगार करा,
थे सजधज के इतराओ,
फूला रो मैं हार बनावा,
थाने जचा जचा पेहरावा,
सोना सा दरबार सजावां मेरे श्याम,
आर बाबा पार बाबा,
म्हारें घरा आओ एक बार बाबा।।
इत्तर से नेहला दूँ थाने,
जैसो भी तू चावे,
चंपा जूही गुलाब केसर,
कुण सो थाने भावे,
थारा बागा भी मंगवाया,
बाबा इत्र से महकाया,
माथे केसर तिलक सजाया मेरे श्याम,
आर बाबा पार बाबा,
म्हारें घरा आओ एक बार बाबा।।
खीर चूरमा माखन मिश्री,
का है थाल सजाया,
जीमो जी म्हारा श्याम सलोना,
छप्पन भोग बनाया,
थाने रुच रुच भोग लगाया,
जीमो जीमो जी जी चाया,
संग में बीड़ा पान सजाया मेरे श्याम,
आर बाबा पार बाबा,
म्हारें घरा आओ एक बार बाबा।।
जीम जूठ विश्राम करो थे,
थारा चरण दबावा,
सुख दुःख की दो बातां करके,
मैं राज़ी हो जावा,
सुनले बाबा अरज़ हमारी,
अर्ज़ी पे है मर्ज़ी थारी,
‘रोमी’ देखे राह तिहारी मेरे श्याम,
आर बाबा पार बाबा,
म्हारें घरा आओ एक बार बाबा।।
आर बाबा पार बाबा,
म्हारे घरा आओ एक बार बाबा,
सुन्दर तेरी छवि प्यारी,
जाऊं मैं तो वारी वारी,
करके लीले की असवारी मेरे श्याम,
आर बाबा पार बाबा,
म्हारें घरा आओ एक बार बाबा।।
स्वर – सरदार रोमी जी।