म्हारे क्या को तोड़ो,
म्हारो गठजोड़ो बाबा श्याम से।।
मात पिता म्हारो हाथ पकड़कर,
श्याम की लेर लगाया,
श्याम ही म्हारो जीवन साथी,
म्हाने पाठ पढ़ाया जी,
म्हारें क्या को तोड़ो,
म्हारो गठजोड़ो बाबा श्याम से।।
ऐसो साथी मिल्यो है म्हाने,
साथ कदे ना छोड़े,
साथ साथ यो चाले म्हारे,
चढ़के लीले घोड़े जी,
म्हारें क्या को तोड़ो,
म्हारो गठजोड़ो बाबा श्याम से।।
बात करे है मीठी मीठी,
जद भी यो बतलावे,
म्हारे दिल पर राज करे यो,
दूजो नहीं सुहावे जी,
म्हारें क्या को तोड़ो,
म्हारो गठजोड़ो बाबा श्याम से।।
एक वचन यो मांगे ‘बिन्नू’,
दे दे म्हारा स्वामी,
जनम जनम तक साथ रेवण की,
भर दे म्हाने हामी जी,
म्हारें क्या को तोड़ो,
म्हारो गठजोड़ो बाबा श्याम से।।
म्हारे क्या को तोड़ो,
म्हारो गठजोड़ो बाबा श्याम से।।
स्वर – मुकेश बागड़ा जी।