म्हारे मनडा रो बोले मोर,
बोले जय बाबोसा,
जयकारा है चहु ओर,
जय श्री बाबोसा,
है दुख भंजन छगनी नन्दन,
धाम है चुरू नगरियाँ,
म्हारे मनडा रो बोलें मोर,
बोले जय बाबोसा।।
तर्ज – म्हारा हिवड़ा में नाचे मोर।
कलयुग के हो देव तुम्ही,
हम करते भाव से वंदन है,
आ….आ…आ…,
कलयुग के हो देव तुम्ही,
हम करते भाव से वंदन है,
तेरे दर्शन से सुख चैन मिले,
मेरी सांसो में तेरा सुमिरन है,
तेरे नाम पे लिख दी हमने,
अब ये सारी उमरियाँ,
म्हारे मनडा रो बोलें मोर,
बोले जय बाबोसा।।
जो तेरी शरण मे आता है,
वो बिन बोले सब पाता है,
आ….आ…आ…,
जो तेरी शरण मे आता है,
वो बिन बोले सब पाता है,
तुमसे मिलकर ऐसा लगता,
मानो जन्मोजनम का नाता है,
पार करे भक्तो की नैया,
बनकर तू ही खिवैया,
म्हारे मनडा रो बोलें मोर,
बोले जय बाबोसा।।
देख के तेरे चमत्कार,
ये दुनिया हुई दीवानी है,
आ….आ…आ…,
देखके तेरे चमत्कार,
ये दुनिया हुई दीवानी है,
‘दिलबर’ तेरी महिमा को मैं,
कैसे कहु जुबानी है,
वैष्णवी चाहे छुटे जमाना,
छूटे ना तेरी दुवरिया,
म्हारे मनडा रो बोलें मोर,
बोले जय बाबोसा।।
म्हारे मनडा रो बोले मोर,
बोले जय बाबोसा,
जयकारा है चहु ओर,
जय श्री बाबोसा,
है दुख भंजन छगनी नन्दन,
धाम है चुरू नगरियाँ,
म्हारे मनडा रो बोलें मोर,
बोले जय बाबोसा।।
लेखक / प्रेषक – दिलीप सिंह सिसोदिया दिलबर।
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