म्हारी सोवनी चीडी,
म्हारी रुपा री चीडी,
काया रो कारीगर,
तने फुटरी घड़ी।।
नौ दस मास गरब मे रही,
तु नरगा री घुरी,
बाहर आय राम न भुलो,
राम री पुरी,
मारी सोवनी चीडी,
मारी रुपा री चीडी,
काया रो कारीगर,
तने फुटरी घड़ी।।
नो दस मास घड़ता लागा,
हद सु हद घड़ी,
रु रु जोड़ा तील तील सादा,
तारा बीच जड़ी,
मारी सोवनी चीडी,
मारी रुपा री चीडी,
काया रो कारीगर,
तने फुटरी घड़ी।।
पाणी पिलाऊ चुगो चुगाऊ,
राखू हरी भरी,
ऐ चीड़कली पल पल मै,
थारी खबरा ले हु,
जाने कू बिसरी,
मारी सोवनी चीडी,
मारी रुपा री चीडी,
काया रो कारीगर,
तने फुटरी घड़ी।।
गुरु रे परताप सु,
सीरला जल सु तीरी,
रामानंद रा भणे कबीरा,
सत सग मे सुदरी,
मारी सोवनी चीडी,
मारी रुपा री चीडी,
काया रो कारीगर,
तने फुटरी घड़ी।।
म्हारी सोवनी चीडी,
म्हारी रुपा री चीडी,
काया रो कारीगर,
तने फुटरी घड़ी।।
प्रेषक – सुभाष सारस्वत काकड़ा।
मोबाइल 9024909170