कालो गणों रुपालो यो,
घडबोरया वालों रे,
मारो चारभुजा रो नाथ,
चतुर्भुज भाला वालो रे।।
सिर पर सोहे मुकुट मनोहर,
कुण्डल की छवि न्यारी रे,
पीलो वस्त्र पीताम्बर सोहे,
बागा रो हद भारी रे,
झिलमिल झिलमिल तुर्रो झलके,
झलके भालो रे,
म्हारो चारभुजा रो नाथ,
चतुर्भुज भालावालो रे।।
कडा नैवरी कमर कँदोरो,
पगपायल झाँजरिया रे,
गाल थिरकनी हिये हिरकनी,
सोहै रे सावरिया रे,
अधर धरी जो मुरली बीराजे,
छैल छबीलो रे,
म्हारो चारभुजा रो नाथ,
चतुर्भुज भालावालो रे।।
बैठ पालकी राम रेवाड़ी,
होली खेले गिरधारी रे,
रँग बिरँगी गुलाल उडावे,
भक्ता रे संग खेले रे,
फागां रो मेलो हद भारी,
बडो रुपालो रे,
म्हारो चारभुजा रो नाथ,
चतुर्भुज भालावालो रे।।
सेज पालकी राम रेवाड़ी,
मेलौ लागै भारी रे,
गयारस झुलै बेठ साँवरो,
दुनिया दर्शन आवै रे,
ताल मझीरा घैरा बाजे,
बड़ो नखरालौ रे,
म्हारो चारभुजा रो नाथ,
चतुर्भुज भालावालो रे।।
चारभुजा कलयुग में बिराजे,
हैलो मारो सुणजौ रे,
भक्त मंडली चरणां में गावै,
सरण में माने लीजै जी,
भोला भाला भक्ताँ को यौ,
राम रुखालौ रे,
म्हारो चारभुजा रो नाथ,
चतुर्भुज भालावालो रे।।
कालो गणों रुपालो यो,
घडबोरया वालों रे,
मारो चारभुजा रो नाथ,
चतुर्भुज भाला वालो रे।।
गायक – रतन राव सिहाना।
प्रेषक – देव वैष्णव नवानियाँ मेवाड़।