म्हारो श्याम धणी जी,
म्हारे काई की कमी,
सिंगोली में बेठो ठाकुर,
सबको धणी,
मारो श्याम धणी जी,
मारे काई की कमी।।
नामदेव जी को छपरो यो छावे
धन्ना भगत के हाली बण जावे,
कर्मा बाई को खिचड खावे,
कर्मा बाई को खिचड खावे,
भाव राख जो करे सेवना,
माया लुटावे गणी,
मारो श्याम धणी जी,
मारे काई की कमी।।
भगता के कारण नाना रूप धरावे,
कदी किशनो खाती कदी नंदो बण आवे,
भगता रा कारज ठाकुर पल में बणावे,
भगता रे कारण नाना रुप धरावे,
धन्य भाग वो मीराबाई,
आछी कमाई करी,
मारो श्याम धणी जी,
मारे काई की कमी।।
मांगे जीने देवे ठाकुर लेवे सत न्यारा,
लेवे है परिक्षा ठाकुर पाछे देवे माया,
भेद मीटा मन का जो सरणा में आया,
सिंगोली रा श्याम वाने गला सु लगाया,
दास देव थारो लिख लिख गायो,
अब परिक्षा गणी,
मारो श्याम धणी जी,
मारे काई की कमी।।
म्हारो श्याम धणी जी,
म्हारे काई की कमी,
सिंगोली में बेठो ठाकुर,
सबको धणी,
मारो श्याम धणी जी,
मारे काई की कमी।।
गायक / लेखक – देव शर्मा आमा।
8290376657