मिग्सर का आया त्यौहार है,
सज गया चुरू दरबार है,
बैठे श्री बाबोसा सरकार है,
दर्शन को दिल बेकरार है।।
तर्ज – साजन मेरा उस पार है।
एक बरस का इंतजार है,
मिग्सर की पाँचम आई द्वार है,
दर्शन को अखियाँ तरसी है,
सावन के जैसे झर झर बरसी है,
होने वाला उनका दीदार है,
दर्शन को दिल बेकरार है।।
‘दिलबर’ अब किसका इंतजार है,
संग तेरे बाबोसा परिवार है,
भक्तो को मिलता जहाँ प्यार है,
‘प्राची’ वो चुरू दरबार है,
आओ हम भी चले एकबार है,
दर्शन को दिल बेकरार है।।
मिग्सर का आया त्यौहार है,
सज गया चुरू दरबार है,
बैठे श्री बाबोसा सरकार है,
दर्शन को दिल बेकरार है।।
स्वर – प्राची जैन मुम्बई।
रचनाकार -दिलीप सिंह सिसोदिया दिलबर।
नागदा जक्शन म.प्र. 9907023365