मिनखा देही है अनमोली,
भजन बिना वृथा क्यूं खोवे,
भजन करो गुरु जम्भेश्वर का,
आवागवण का दुखड़ा खोवे।।
गर्भवास में कवल किया था,
कवल पलटे हरि विमुख होवे,
बालपणे बालक संग रमियो,
जवान भयो नारि बस होवे।।
चालीसां में तृष्णा जागी,
मोह माया में पड़कर सोवे,
बेटा पोता और पड़पोता,
हस्ती घोड़ा बग्घी होवे।।
धन कर ऐश करूं दुनियां में,
मेरे बराबर कोई न होवे,
गर्व गुमान करै मत प्राणी,
गर्व कियो हिरणाकुश रोवे।।
गर्व कियो लंकापति रावण,
सीता हरकर लंका खोवे,
सच्चा पायक रामचन्द्र का,
हनुमान बलकारी होवे।।
तन में तीरथ न्हाव त्रिवेणी,
ज्ञान बिना मुक्ति नहीं होवे,
ज्ञान ही बन के मृगे ने,
किस्तूरी बन बन में टोवे।।
अड़सठ तीरथ एक सुभ्यागत,
मात पिता गुरु सेवा से होवे,
दोय कर जोड़ ऊदो जन बोले,
आवागवण कदे न होवे।।
मिनखा देही है अनमोली,
भजन बिना वृथा क्यूं खोवे,
भजन करो गुरु जम्भेश्वर का,
आवागवण का दुखड़ा खोवे।।
Singer – Dr Madhu Bishnoi
प्रेषक – सुभाष सारस्वा काकड़ा।
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