मित्र सुदामा दर दर भटके,
कहाँ हो मुरली वाले,
कहाँ हो बंशी वाले।।
तर्ज – मेरे नैना सावन भादो।
संकट हारी है,
कष्ट निवारी है,
कौन जनम के दुख है मुझ पर,
क्यों नही इनको टाले,
क्यों नही इनको टाले,
रुत आए रुत जाए देकर,
झूठा एक दिलासा,
फिर भी मेरा मन प्यासा।।
बरसो बीत गए,
हमको मिले बिछड़े,
बिजुरी बनकर गगन पे चमके,
बीते समय कि रेखा,
मैने तुमको देखा,
मन संग आँख मिचौली खेलें,
आशा और निराशा,
फिर भी मेरा मन प्यासा।।
कांटे चुभें पांवो में,
रक्त भरा घांवो में,
नैनो से श्याम के नीर भर आए,
बचपन की याद आई,
बचपन की याद आई,
अश्रु बहाते गले से लगाते,
कहाँ हो बंशी वाले,
कहाँ हो मुरली वाले।।
मित्र सुदामा दर दर भटके,
कहाँ हो मुरली वाले,
कहाँ हो बंशी वाले।।
स्वर – सावित्री नंदन बबलू महाराज जी।