मोहन मुरली वाले,
मैं मुरली बन जाऊं,
मुझको अधर लगा ले,
मोहन मुरली वालें।।
मेरा जीवन एक विशघट है,
अमृत इसे बना दे,
बिन मतलब के इस जीवन का,
मतलब मुझे बता दे,
सुर की सुधा पिला दे,
प्रीत की रीत सिखा दे,
मैं मुरली बन जाऊं,
मुझको अधर लगा ले,
मोहन मुरली वालें।।
मैं मुरली बन जाऊंगा तो,
होंगे वारे न्यारे,
तुमसा मिले बजाने वाला,
सुर निकलेंगे प्यारे,
संग रहूँगा तेरे,
ब्रज के ग्वाल निराले,
मैं मुरली बन जाऊं,
मुझको अधर लगा ले,
मोहन मुरली वालें।।
अपनी सांसो से तू मोहन,
मुझमे प्राण भरेगा,
‘सूरज’ सा पापी वैतरणी,
पल में पार करेगा,
जनम जनम का साथी,
कान्हा मुझे बना ले,
मैं मुरली बन जाऊं,
मुझको अधर लगा ले,
मोहन मुरली वालें।।
मोहन मुरली वाले,
मैं मुरली बन जाऊं,
मुझको अधर लगा ले,
मोहन मुरली वालें।।
स्वर – रवि शर्मा ‘सूरज’